Thursday 7 February 2013

वैदिक गणित के सोलह सूत्र एवं उपसूत्र


वैदिक गणित के सोलह सूत्र एवं उपसूत्र

जगद्गुरु भारती कृष्ण तीर्थ जी द्वारा प्रतिपादित वैदिक गणित के 16 सूत्र एवं 13 उपसूत्र

16 सूत्र
1. एकाधिकेन पूर्वेण - पहले से एक अधिक के द्वारा
2. निखिलं नवतश्चरमं दशत: - सभी नौ में से तथा अन्तिम दस में से
3. उध्र्वतिर्यक् भ्याम् - सीधे और तिरछे दोनों विधियों से
4. परावत्र्य योजयेत् - विपरीत उपयोग करें।
5. शून्यं साम्यसमुच्चये - समुच्चय समान होने पर शून्य होता है।
6. आनुररूप्ये शून्यमन्यत् - अनुरूपता होने पर दूसरा शून्य होता है।
7. संकलनव्यवकलनाभ्याम् - जोड़कर और घटाकर
8. पूरणापूराणाभ्याम् - पूरा करने और विपरीत क्रिया द्वारा
9. चलनकलनाभ्याम् - चलन-कलन की क्रियाओं द्वारा
10. यावदूनम् - जितना कम है।
11. व्यष्टिसमिष्ट: - एक को पूर्ण और पूर्ण को एक मानते हुए।
12. शेषाण्यङ्केन चरमेण - - अंतिम अंक के सभी शेषों को।
13. सोपान्त्यद्वयमन्त्यम् - अंतिम और उपान्तिम का दुगुना।
14. एकन्यूनेन पूर्वेण - पहले से एक कम के द्वारा।
15. गुणितसमुच्चय: - गुणितों का समुच्चय।
16. गुणकसमुच्चय: - गुणकों का समुच्चय।

उपसूत्र 
1. आनुरूप्येण - अनुरूपता के द्वारा।
2. शिष्यते शेषसंज्ञ: - बचे हुए को शेष कहते हैं।
3. आद्यमाद्येनान्त्यमन्त्येन - - पहले को पहले से, अंतिम को अंतिम से।
4. केवलै: सप्तकं गुम्यात् - "क", "व", "ल" से 7 गुणा करें।
5. वेष्टनम् - भाजकता परीक्षण की एक विशिष्ट क्रिया का नाम।
6. यावदूनं तावदूनम् - जितना कम उतना और कम।
7. यावदूनं तावदूनीकृत्य वर्ग च योजयेत्
8. अन्त्ययोर्दशकेऽपि
9. अन्त्ययोरेव
10. समुच्चयगुणित:
11. लोपनस्थापनाभ्याम्
12. विलोकनम्
13. गुणितसमुच्चय: समुच्चयगुणित:

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